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साक्षात्कार क्या है? प्रकार, महत्व और विशेषताएं

Shilu Sinha
Shilu Sinha  @shilusinha
Created At - 2024-07-28
Last Updated - 2025-03-04

Table of Contents

  • साक्षात्कार और उसके प्रकार
  • पी. वी. यंग (P.V. Young):
  • पामर (Palmer):
  • ऑलपोर्ट (Allport):
  • साक्षात्कार के प्रकार
    • 1. केन्द्रित साक्षात्कार (Focussed interview):
    • विशेषताएँ:
    • 2. अनिर्देशित/ विस्तृत साक्षात्कार (Non-directive or extensive interviews):
    • विशेषताएँ:
    • 3. औपचारिक साक्षात्कार (Formal interview):
    • विशेषताएँ:
    • 4. अनौपचारिक साक्षात्कार (Informal interview):
    • विशेषताएँ:
    • 5. पुनरावृत्ति साक्षात्कार (Repetitive interview):
    • विशेषताएँ:
    • 6. आकस्मिक साक्षात्कार (Casual interview):
    • विशेषताएँ:
    • 7. व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal interviews):
    • विशेषताएँ:
    • 8. समूह साक्षात्कार (Group interview):
    • विशेषताएँ:
  • साक्षात्कार की आवृत्ति और अवधि
  • निष्कर्ष

साक्षात्कार और उसके प्रकार

साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग विभिन्न शोध और अध्ययन के क्षेत्रों में किया जाता है। इसके माध्यम से शोधकर्ता सूचनाएँ एकत्र करते हैं, जो उन्हें अध्ययन के उद्देश्य को पूरा करने में सहायक होती हैं। विभिन्न विद्वानों ने साक्षात्कार की परिभाषा और उसकी प्रकृति पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।

पी. वी. यंग (P.V. Young):

पी. वी. यंग के अनुसार, "साक्षात्कार एक व्यवस्थित प्रणाली मानी जा सकती है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे के आन्तरिक जीवन में अधिक अथवा कम कल्पनात्मक रूप से प्रवेश करता है जो (साक्षात्कारकर्त्ता) असाधारणतया उसके लिए तुलनात्मक रूप से अपरिचित है।” यंग की इस परिभाषा में यह सुझाव दिया गया है कि साक्षात्कारकर्त्ता सूचनादाता के आन्तरिक जीवन में प्रवेश करता है, लेकिन इस प्रक्रिया को कल्पनात्मक रूप से बताना इसे स्पष्ट नहीं करता, क्योंकि साक्षात्कार एक अत्यधिक नियोजित और उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया होती है।

पामर (Palmer):

पामर के अनुसार, "साक्षात्कार दो व्यक्ति के बीच एक सामाजिक स्थिति का निर्माण करता है तथा इसमें की गई मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत दोनों व्यक्तियों को परस्पर उत्तर देने पड़ते हैं।” पामर की इस परिभाषा में सामाजिक स्थिति और मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया पर बल दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि साक्षात्कार केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दोनों पक्षों का सहभाग आवश्यक है।

ऑलपोर्ट (Allport):

ऑलपोर्ट ने लिखा है, "यदि हम यह जानना चाहते हैं कि लोग क्या महसूस करते हैं, क्या अनुभव करते हैं, क्या स्मरण रखते हैं और उनके क्या उद्वेग एवं प्रेरणाएँ हैं, तो उनसे क्यों नहीं पूछ लेते हैं?" यह परिभाषा साक्षात्कार के सीधे और स्पष्ट दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है, जिसमें व्यक्ति से सीधे उसकी भावनाओं, अनुभवों और विचारों के बारे में पूछा जाता है।

साक्षात्कार के प्रकार

साक्षात्कार को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख प्रकारों की विस्तृत विवेचना की जा रही है:

1. केन्द्रित साक्षात्कार (Focussed interview):

केन्द्रित साक्षात्कार एक विशेष प्रकार की प्रणाली है जिसे रॉबर्ट के. मर्टन और उनके सहयोगियों द्वारा विकसित किया गया था। इस प्रणाली में साक्षात्कारकर्त्ता को किसी एक विशेष विषय पर केन्द्रित होना पड़ता है। सूचनादाता को विषय से बाहर न जाने देना और उसकी विशेष बातों को नोट करते रहना साक्षात्कारकर्त्ता के महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।

विशेषताएँ:

I. विशेष विषय पर केन्द्रित: केन्द्रित साक्षात्कार का क्षेत्र केवल किसी विशेष विषय तक ही सीमित रहता है।

II. उत्तर प्रभावित नहीं होते: इसमें साक्षात्कारकर्त्ता अपनी ओर से सूचनादाताओं के उत्तरों को प्रभावित नहीं करता है।

III. अनुभवकर्ता का साक्षात्कार: सम्बन्धित परिस्थितियों का स्वयं अनुभव करने वाले व्यक्तियों का ही साक्षात्कार किया जाता है।

IV. निजी और घनिष्ठ सम्बन्ध: साक्षात्कारकर्त्ता का सूचनादाताओं से निजी स्तर पर तथा निकट एवं घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।

2. अनिर्देशित/ विस्तृत साक्षात्कार (Non-directive or extensive interviews):

अनिर्देशित साक्षात्कार को असंरचित साक्षात्कार का एक विशेष प्रकार माना जाता है। इसमें अध्ययनकर्त्ता उत्तरदाता से प्रश्न पूछता है, लेकिन उत्तरों को प्रभावित करने की कोई कोशिश नहीं करता। उत्तरदाता अपने विचारों को स्वतन्त्रतापूर्वक अभिव्यक्त करता है।

विशेषताएँ:

I. स्वतन्त्र वातावरण: अध्ययनकर्त्ता उत्तरदाता को स्वतन्त्र वातावरण प्रदान करता है ताकि वह बिना किसी असहमति या आलोचना की चिन्ता के अपने विचार व्यक्त कर सके।

II. पूर्व निर्धारित प्रश्न अनुसूची नहीं: इस प्रकार के साक्षात्कार में पूर्व निर्धारित प्रश्न अनुसूची का उपयोग नहीं किया जाता।

III. उपयोगी और उपयुक्त सूचनाओं का चुनाव: उत्तरदाता के लम्बे कथन में से अध्ययनकर्ता उपयोगी और उपयुक्त सूचनाओं का चुनाव करता है।

3. औपचारिक साक्षात्कार (Formal interview):

औपचारिक साक्षात्कार में पहले से तैयार किए गए निश्चित प्रश्नों के उत्तर पूछे जाते हैं। साक्षात्कारकर्त्ता अतिरिक्त प्रश्न पूछने, प्रश्नों की व्याख्या करने और उनकी शब्दावली परिवर्तित करने के लिए स्वतन्त्र नहीं होता।

विशेषताएँ:

I. पूर्व निर्धारित प्रश्न: निश्चित प्रश्नों के उत्तर पूछे जाते हैं।

II. प्रश्नों की व्याख्या नहीं: साक्षात्कारकर्त्ता प्रश्नों की व्याख्या करने या उनकी शब्दावली परिवर्तित करने के लिए स्वतन्त्र नहीं होता।

III. औपचारिक सम्पर्क: इसका मुख्य आधार औपचारिक सम्पर्क होता है।

4. अनौपचारिक साक्षात्कार (Informal interview):

अनौपचारिक साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्त्ता को स्वतन्त्रता होती है और प्रश्नों की संख्या तथा भाषा पूर्व निर्धारित नहीं होती। विशेष अनुसूची की भी आवश्यकता नहीं होती।

विशेषताएँ:

I. स्वतन्त्रता: साक्षात्कारकर्त्ता को प्रश्नों की संख्या और भाषा के मामले में स्वतन्त्रता होती है।

II. पूर्व निर्धारित प्रश्न नहीं: इसमें प्रश्नों की संख्या और भाषा पूर्व निर्धारित नहीं होती।

III. विशेष अनुसूची की आवश्यकता नहीं: विशेष अनुसूची की आवश्यकता नहीं होती।

5. पुनरावृत्ति साक्षात्कार (Repetitive interview):

पुनरावृत्ति साक्षात्कार में गहरी सूचनाएँ एकत्रित करने के लिए बार-बार साक्षात्कार आयोजित किया जाता है।

विशेषताएँ:

I. गहरी सूचनाएँ: गहरी सूचनाएँ एकत्रित करने में सहायक।

II. समय, शक्ति और धन व्यय: समय, शक्ति और धन व्यय अधिक होता है, लेकिन परिणाम अधिक सटीक होते हैं।

III. वास्तविक अध्ययन: उन्नत क्रियाओं का अध्ययन करते समय वास्तविक अध्ययन हो सकता है कि वे किस प्रकार घटीं।

6. आकस्मिक साक्षात्कार (Casual interview):

इस प्रकार के साक्षात्कार में अध्ययनकर्त्ता को ऐसे व्यक्तियों के बारे में कोई पूर्व जानकारी नहीं होती जिनका साक्षात्कार किया जाता है। अध्ययनकर्त्ता किसी भी समय और स्थान पर यदि किसी व्यक्ति का साक्षात्कार करना सूचनाओं के संग्रह के लिए उपयोगी समझता है तो ऐसा करने की उसे पूरी स्वतन्त्रता होती है।

विशेषताएँ:

I. पूर्व जानकारी नहीं: अध्ययनकर्त्ता को पूर्व जानकारी के बिना साक्षात्कार करना होता है।

II. स्वतन्त्रता: अध्ययनकर्त्ता को किसी भी समय और स्थान पर साक्षात्कार करने की स्वतन्त्रता होती है।

III. जनमत: किसी विषय के बारे में जनमत को जानने के लिए उपयोगी होता है।

7. व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal interviews):

व्यक्तिगत साक्षात्कार में एक समय में एक ही व्यक्ति से साक्षात्कार किया जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्त्ता और सूचनादाता दोनों ही प्रश्न और उत्तर देने में लगे रहते हैं।

विशेषताएँ:

I. एक समय में एक व्यक्ति: एक समय में एक ही व्यक्ति से साक्षात्कार।

II. प्रश्न और उत्तर: प्रत्येक प्रश्न और उत्तर अगले प्रश्न के लिए प्रेरणा देता है।

III. समय की सावधानी: सूचनादाताओं का चुनाव बड़ी सावधानी से किया जाना चाहिए।

8. समूह साक्षात्कार (Group interview):

समूह साक्षात्कार में अध्ययनकर्त्ता एक ही समय और स्थान पर कई सूचनादाताओं से साक्षात्कार करता है। सूचनादाताओं से किसी क्रम के अनुसार अथवा बिना क्रम के ही प्रश्न पूछ सकता है।

विशेषताएँ:

I. समूह में साक्षात्कार: एक ही समय और स्थान पर कई सूचनादाताओं से साक्षात्कार।

II. विवादास्पद समस्याएँ: विवादास्पद समस्याओं से सम्बन्धित हो सकता है।

III. कम व्यय और समय: कम व्यय और समय में विशाल जनसमूह का अध्ययन सम्भव होता है।

IV. बुद्धिमत्ता की आवश्यकता: इसमें साक्षात्कारकर्त्ता को अधिक बुद्धिमत्ता का परिचय नहीं देना पड़ता।

V. कम कुशलता से काम: इसमें कम कुशलता से भी काम चलता है।

साक्षात्कार की आवृत्ति और अवधि

साक्षात्कार की अवधि और आवृत्ति के आधार पर भी विभिन्न प्रकार होते हैं:

अल्पकालिक साक्षात्कार (Short-term interview): कुछ साक्षात्कार बहुत कम समय के लिए होते हैं।

दीर्घकालिक साक्षात्कार (Long-term interview): कई साक्षात्कार बहुत लंबे समय तक चल सकते हैं।

एक बार का साक्षात्कार (One-time interview): कुछ साक्षात्कार केवल एक बार ही किए जाते हैं।

पुनरावृत्ति साक्षात्कार (Repeated interview): कुछ विषयों पर बार-बार साक्षात्कार करने की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष

साक्षात्कार विभिन्न प्रकार के होते हैं और प्रत्येक प्रकार का अपना महत्व और उपयोग होता है। साक्षात्कारकर्त्ता को सूचनादाताओं के साथ एक स्वस्थ और प्रभावी संवाद स्थापित करना चाहिए ताकि सही और विश्वसनीय सूचनाएँ प्राप्त की जा सकें। साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं, अनुभवों और विचारों को समझने का प्रयास किया जाता है, जो अध्ययन और शोध के उद्देश्य को पूरा करने में सहायक होता है।

साक्षात्कार का सही चयन और उसका प्रभावी उपयोग अध्ययन के परिणामों की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता को बढ़ाता है। साक्षात्कारकर्त्ता की कौशलता और संवेदनशीलता साक्षात्कार की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रकार, साक्षात्कार एक जटिल लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो शोधकर्ताओं को गहरी और सार्थक सूचनाएँ प्रदान करने में सहायक होती है।

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