वीर कुँवर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उनका जन्म 1777 ई. में बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था, जो प्रसिद्ध शासक भोज के वंशज माने जाते हैं।
कुँवर सिंह ने अपने जीवन का अधिकांश समय अपने क्षेत्र और प्रजा की सेवा में बिताया। वे एक कुशल शासक और वीर योद्धा थे, जिन्होंने अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय, जब भारत भर में विद्रोह की लहर दौड़ रही थी, तब उन्होंने अपनी उम्र की परवाह किए बिना, सक्रिय रूप से इस आंदोलन में भाग लिया।
वीर कुँवर सिंह 80 वर्ष की उम्र में भी अपने साहस और युद्ध कौशल के लिए जाने जाते थे। उन्होंने जगदीशपुर में अपने किले से ब्रिटिश सेना के खिलाफ एक संगठित सेना का नेतृत्व किया और कई सफल लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी सबसे प्रमुख विजय 23 अप्रैल 1858 को आरा के पास हुई, जहाँ उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जीत हासिल की।
हालांकि, इस संघर्ष में वीर कुँवर सिंह को गंभीर चोटें भी आईं और अंततः 27 अप्रैल 1858 को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी वीरता और देशभक्ति ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। उन्हें आज भी भारत में एक वीर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।