अर्थशास्त्र में यूटिलिटी (Utility) का अर्थ उपभोक्ता द्वारा किसी वस्तु या सेवा के उपभोग से प्राप्त संतोष या लाभ से है। यह एक प्रकार का माप है जो यह बताता है कि उपभोक्ता किसी वस्तु को कितनी पसंद करता है या उस वस्तु से उसे कितना संतोष मिलता है। यूटिलिटी उपभोक्ता के व्यवहार को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके चयन और निर्णयों को प्रभावित करती है।
यूटिलिटी का सिद्धांत यह मानता है कि उपभोक्ता हमेशा उन वस्तुओं और सेवाओं का चयन करेंगे जो उन्हें अधिकतम संतुष्टि और लाभ प्रदान करती हैं। यूटिलिटी का अध्ययन अर्थशास्त्र में उपभोक्ता सिद्धांत (Consumer Theory) का एक अहम हिस्सा है, और यह मूल्य निर्धारण, उत्पादन, और बाजार संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यूटिलिटी को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
कार्यक्षमता यूटिलिटी (Total Utility): यह यूटिलिटी की कुल मात्रा है जो एक उपभोक्ता को किसी विशेष वस्तु या सेवा के उपभोग से प्राप्त होती है। यह उपभोक्ता की समग्र संतुष्टि को मापने का तरीका है। जैसे-जैसे उपभोक्ता वस्तु का अधिक उपयोग करते हैं, उनकी कुल यूटिलिटी बढ़ती है।
उदाहरण: यदि एक व्यक्ति एक पूरा पैकेट बिस्किट खाता है, तो उसकी कुल यूटिलिटी पैकेट के सभी बिस्किटों के उपभोग से उत्पन्न होगी।
सीमांत यूटिलिटी (Marginal Utility): यह यूटिलिटी की वह अतिरिक्त मात्रा है जो उपभोक्ता को एक और इकाई वस्तु के उपभोग से प्राप्त होती है। सामान्यतः, यह यूटिलिटी प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के साथ घटती जाती है, जिसे यूटिलिटी का घटता हुआ सिद्धांत कहा जाता है।
उदाहरण: यदि एक व्यक्ति पहले गिलास पानी से पूरी तरह संतुष्ट हो जाता है, तो दूसरा गिलास पानी उसे उतनी संतुष्टि नहीं देगा, क्योंकि उसकी सीमांत यूटिलिटी घट चुकी होती है।
सापेक्ष यूटिलिटी (Relative Utility): यह यूटिलिटी का माप है जो एक वस्तु को दूसरी वस्तु के मुकाबले दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि उपभोक्ता किसी विशेष वस्तु को दूसरी वस्तु के मुकाबले अधिक क्यों पसंद करता है।
उदाहरण: अगर एक व्यक्ति चाय के मुकाबले कॉफी को अधिक पसंद करता है, तो उसकी यूटिलिटी कॉफी के लिए अधिक होगी।
निरंतर यूटिलिटी (Constant Utility): इस प्रकार की यूटिलिटी तब होती है जब उपभोक्ता को किसी विशेष वस्तु से समान संतोष मिलता है, चाहे वह कितनी बार उसे उपभोग करे। इसे स्थिर यूटिलिटी भी कहा जाता है।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति को रोजाना एक ही प्रकार के संगीत से समान संतुष्टि मिलती है, तो उसकी यूटिलिटी स्थिर होती है।
यूटिलिटी का सिद्धांत यह मानता है कि उपभोक्ता अपने संतोष को अधिकतम करने के लिए उन वस्तुओं और सेवाओं का चुनाव करते हैं जिनसे उन्हें अधिकतम यूटिलिटी प्राप्त हो। इस सिद्धांत के अनुसार, उपभोक्ता का उद्देश्य हमेशा अपनी सीमित आय और बजट के भीतर अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करना होता है।
यूटिलिटी का घटता हुआ सिद्धांत (Law of Diminishing Marginal Utility): इस सिद्धांत के अनुसार, जैसे-जैसे किसी वस्तु का उपभोग बढ़ता है, प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त यूटिलिटी घटती जाती है। यह उपभोक्ता व्यवहार का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो यह बताता है कि उपभोक्ता अधिक वस्तु का उपभोग करने पर कम संतुष्ट हो जाते हैं।
यूटिलिटी उपभोक्ता की संतुष्टि का माप है और यह उनके उपभोग के निर्णयों को प्रभावित करती है। यूटिलिटी का अध्ययन उपभोक्ता के चयन, मूल्य निर्धारण और आर्थिक निर्णयों को बेहतर समझने में मदद करता है। उपभोक्ता की यूटिलिटी को बढ़ाने के लिए, उत्पादक और सेवाप्रदाता उन वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण करते हैं जो उपभोक्ताओं के लिए अधिक संतुष्टि उत्पन्न करती हैं। यूटिलिटी का सिद्धांत आर्थिक गतिविधियों की गहरी समझ प्रदान करता है और इसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।