प्राचीन भारत शिक्षा और ज्ञान का केंद्र था, जहाँ से विश्वभर के छात्र अध्ययन करने आते थे। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय दो ऐसे प्रमुख शिक्षा केंद्र थे, जिन्होंने भारत को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई।
✅ नालंदा विश्वविद्यालय को "प्राचीन विश्व का पहला अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय" कहा जाता है।
✅ विक्रमशिला विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा और बौद्ध अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
✅ इन विश्वविद्यालयों में भारत, चीन, जापान, तिब्बत, कोरिया, श्रीलंका और इंडोनेशिया से छात्र आते थे।
✅ गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम (लगभग 450 ईस्वी) ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
✅ यह बिहार के नालंदा जिले में स्थित था।
✅ इसका उद्देश्य बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म, गणित, विज्ञान, चिकित्सा और साहित्य की शिक्षा देना था।
✅ नालंदा में 10,000 से अधिक छात्र और 1,500 से अधिक शिक्षक थे।
✅ यहाँ बौद्ध धर्म, वेद, व्याकरण, आयुर्वेद, खगोलशास्त्र, गणित, योग और दर्शनशास्त्र पढ़ाया जाता था।
✅ छात्रों का चयन कठिन परीक्षा प्रणाली के माध्यम से किया जाता था।
✅ विश्वविद्यालय में विशाल पुस्तकालय (धर्मगंज) था, जिसमें लाखों ग्रंथ थे।
✅ आर्यभट्ट (गणितज्ञ और खगोलशास्त्री)
✅ ह्वेनसांग (Xuanzang) और इत्सिंग (Yijing) – ये दोनों चीनी विद्वान नालंदा में पढ़ने और अध्ययन करने आए थे।
✅ नागार्जुन, धर्मकीर्ति, शीलभद्र जैसे महान शिक्षक यहाँ पढ़ाते थे।
✅ 1193 ईस्वी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा को जला दिया।
✅ यह कहा जाता है कि तीन महीने तक पुस्तकालय की लाखों किताबें जलती रहीं।
✅ इस आक्रमण के बाद यह महान शिक्षा केंद्र नष्ट हो गया।
✅ पाल वंश के राजा धर्मपाल (लगभग 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी) ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की।
✅ यह बिहार के भागलपुर जिले में स्थित था।
✅ इसे बौद्ध धर्म के तंत्र और महायान शाखा की शिक्षा के लिए बनाया गया था।
✅ यहाँ 1,000 से अधिक छात्र और 100 से अधिक शिक्षक थे।
✅ प्रमुख विषय: बौद्ध धर्म, व्याकरण, तंत्र साधना, खगोलशास्त्र, दर्शन, योग और चिकित्सा।
✅ इसमें छात्रों के रहने और अध्ययन के लिए एक विशाल पुस्तकालय था।
✅ अतीश दीपंकर (Atisha Dipankara) – महान बौद्ध शिक्षक, जिन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
✅ अन्य प्रसिद्ध विद्वान: ज्ञानश्री, विमलमित्र, रत्नाकर शांति।
✅ 1203 ईस्वी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण से यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया।
✅ तुर्कों ने इसे जला दिया और बौद्ध भिक्षुओं को मार दिया।
विशेषता | नालंदा विश्वविद्यालय | विक्रमशिला विश्वविद्यालय |
---|---|---|
स्थापना | कुमारगुप्त प्रथम (5वीं शताब्दी) | धर्मपाल (8वीं-9वीं शताब्दी) |
स्थान | नालंदा, बिहार | भागलपुर, बिहार |
मुख्य विषय | बौद्ध धर्म, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा | बौद्ध तंत्र, महायान, दर्शन |
छात्र संख्या | 10,000+ | 1,000+ |
शिक्षक संख्या | 1,500+ | 100+ |
प्रसिद्ध शिक्षक | शीलभद्र, नागार्जुन, ह्वेनसांग | अतीश दीपंकर, ज्ञानश्री |
पतन का कारण | बख्तियार खिलजी का आक्रमण (1193 ईस्वी) | बख्तियार खिलजी का आक्रमण (1203 ईस्वी) |
✅ 2006 में, भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की योजना बनाई।
✅ 2014 में नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर स्थापित किया गया।
✅ विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की योजना पर भी काम हो रहा है।
📌 नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के महान शिक्षा केंद्र थे, जिन्होंने पूरे विश्व को ज्ञान प्रदान किया।
📌 नालंदा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा केंद्र था, जबकि विक्रमशिला बौद्ध तंत्र साधना का प्रमुख स्थान था।
📌 तुर्क आक्रमणों के कारण इनका पतन हुआ, लेकिन इनकी विद्या आज भी दुनिया को प्रेरणा देती है।
📌 भारत सरकार नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण कर रही है, जिससे प्राचीन भारत की विरासत को पुनर्जीवित किया जा सके।
👉 "नालंदा और विक्रमशिला – ज्ञान के मंदिर, जो पूरी दुनिया को रोशन करते थे!" 🔥📚