डिमांड कर्व की परिभाषा:
डिमांड कर्व वह ग्राफ है, जो किसी उत्पाद की विभिन्न कीमतों पर उसकी मांग को दिखाता है, जबकि अन्य सभी कारक स्थिर रहते हैं।
डिमांड के नियम (Law of Demand):
डिमांड का नियम कहता है कि "अन्य सभी कारक स्थिर रहने पर, किसी उत्पाद की कीमत घटने पर उसकी मांग बढ़ती है और कीमत बढ़ने पर उसकी मांग घटती है।"
उदाहरण:
- अगर चाय की कीमत ₹50 से घटकर ₹30 हो जाती है, तो अधिक लोग इसे खरीदने में रुचि दिखाएंगे।
- इसके विपरीत, अगर चाय की कीमत ₹50 से बढ़कर ₹70 हो जाती है, तो इसे खरीदने वालों की संख्या कम हो जाएगी।
- डाउनवर्ड स्लोपिंग कर्व (Downward Sloping Curve):
डिमांड कर्व हमेशा नीचे की ओर झुका होता है, जो यह दर्शाता है कि कीमत घटने पर मांग बढ़ती है।
- नकारात्मक संबंध (Negative Relationship):
कीमत और मांग के बीच विपरीत संबंध होता है।
- Ceteris Paribus (अन्य सभी कारक स्थिर):
डिमांड कर्व के सिद्धांत तभी मान्य होते हैं, जब अन्य सभी कारक जैसे आय, पसंद, और संबंधित वस्तुओं की कीमत स्थिर रहें।
डिमांड कर्व स्थिर नहीं रहता। विभिन्न कारकों के कारण यह दाईं या बाईं ओर शिफ्ट कर सकता है।
- उपभोक्ता की आय (Consumer Income):
- आय में वृद्धि: जब उपभोक्ताओं की आय बढ़ती है, तो वे अधिक वस्तुएं खरीदते हैं। इससे डिमांड कर्व दाईं ओर शिफ्ट होता है।
- आय में गिरावट: आय घटने से डिमांड कर्व बाईं ओर शिफ्ट होता है।
- उपभोक्ता का स्वाद और प्राथमिकताएं (Taste and Preferences):
- अगर किसी वस्तु का चलन बढ़ता है, तो उसकी मांग बढ़ जाती है।
- उदाहरण: यदि स्वस्थ आहार का प्रचार बढ़ता है, तो फल और सब्जियों की मांग बढ़ेगी।
- संबंधित वस्तुओं की कीमत (Price of Related Goods):
- स्थानापन्न वस्तुएं (Substitute Goods): यदि चाय महंगी हो जाती है, तो कॉफी की मांग बढ़ सकती है।
- पूरक वस्तुएं (Complementary Goods): अगर पेट्रोल महंगा हो जाता है, तो कारों की मांग घट सकती है।
- जनसंख्या और जनसांख्यिकी (Population and Demographics):
अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में उत्पाद की मांग अधिक होती है।
- भविष्य की अपेक्षाएं (Future Expectations):
अगर उपभोक्ता सोचते हैं कि किसी उत्पाद की कीमत बढ़ सकती है, तो वे अभी अधिक मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं।
मूल्य (₹) | मांग (यूनिट में) |
---|
100 | 10 |
80 | 20 |
60 | 30 |
40 | 40 |
20 | 50 |
यह डेटा दर्शाता है कि जैसे-जैसे कीमत घटती है, मांग बढ़ती है। ग्राफ में इसे प्लॉट करने पर हमें डिमांड कर्व मिलता है।

- X-अक्ष (Horizontal Axis): यह मांग (Quantity Demanded) को दिखाता है।
- Y-अक्ष (Vertical Axis): यह कीमत (Price) को दर्शाता है।
- डाउनवर्ड स्लोपिंग: ग्राफ नीचे की ओर झुका हुआ है, जो यह दर्शाता है कि कीमत घटने पर मांग बढ़ती है।
- ग्राफ में प्रत्येक बिंदु दिखाता है कि एक विशेष कीमत पर कितनी मात्रा की मांग होगी।
- जैसे-जैसे कीमत घटती है, मांग बढ़ती है।
आपने जो चित्र डाउनलोड किया है, उसमें इन सभी बिंदुओं को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। यदि आपको इसे और विस्तार से समझाने की आवश्यकता हो, तो कृपया बताएं।
- व्यक्तिगत डिमांड कर्व (Individual Demand Curve):
यह एक उपभोक्ता की मांग और कीमत के बीच संबंध को दर्शाता है।
- बाजार डिमांड कर्व (Market Demand Curve):
यह सभी उपभोक्ताओं की कुल मांग को दिखाता है।
जब किसी कारण से उपभोक्ताओं की मांग बढ़ती है (उदाहरण: आय में वृद्धि, ट्रेंड का असर), तो डिमांड कर्व दाईं ओर शिफ्ट होता है।
जब मांग घटती है (उदाहरण: आय में कमी, विकल्पों की उपलब्धता), तो डिमांड कर्व बाईं ओर शिफ्ट होता है।
- मूल्य निर्धारण (Pricing Strategy):
डिमांड कर्व यह समझने में मदद करता है कि कीमतें बदलने पर मांग पर क्या असर पड़ेगा।
- उत्पादन योजना (Production Planning):
इससे पता चलता है कि किसी उत्पाद की कितनी मात्रा का उत्पादन करना चाहिए।
- नीतिगत निर्णय (Policy Making):
सरकार इसका उपयोग सब्सिडी और टैक्स नीति बनाने में करती है।
डिमांड कर्व अर्थशास्त्र का एक मूलभूत सिद्धांत है, जो उत्पाद की कीमत और मांग के बीच संबंध को स्पष्ट करता है। यह न केवल व्यवसायों को मूल्य निर्धारण और उत्पादन में मदद करता है, बल्कि उपभोक्ताओं के व्यवहार को भी समझने में सहायक होता है। डिमांड कर्व को समझना बाजार की कार्यप्रणाली को समझने का एक महत्वपूर्ण चरण है।