भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्व
प्राचीन काल से ही कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा रहा है। प्रमुख व्यवसाय होने के कारण, देश की 67% जनसंख्या सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन का आयोजन कृषि और कृषि संबंधित सेवाओं पर आधारित करती है। देश के उद्योगों और व्यापार, जैसे कि सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, चाय उद्योग, और वनस्पति उद्योग, कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं। वर्तमान में, राष्ट्रीय आय के 26% का योगदान कृषि सेक्टर से होता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी कृषि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इतना ही नहीं, राजनीतिक स्थिरता भी कृषि पर ही निर्भर करता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित तत्व दृष्टिगत हैं:
1.राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत: देश की राष्ट्रीय आय के संदर्भ में, कृषि क्षेत्र का महत्व विशेष है। वर्तमान समय में, देश की राष्ट्रीय आय का लगभग 26% का योगदान कृषि से आता है, जो अन्य क्षेत्रों के समक्ष अधिक है। पहले विश्व युद्ध के समय, भारत की राष्ट्रीय आय का लगभग तीन-तिहाई हिस्सा कृषि से आता था। इसका मुख्य कारण उद्योगिक विकास का न होना था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने नियोजित विकास और औद्योगिकीकरण के माध्यम से कृषि क्षेत्र के योगदान में कमी देखी, लेकिन राष्ट्रीय आय में कृषि का महत्व अब भी अधिक है।
2.कृषि में रोजगार: भारत में जनसंख्या की तेज वृद्धि के कारण, कृषि से जुड़े लोगों की वास्तविक संख्या में वृद्धि हुई है। देश की 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अपनी आजीविका कृषि और कृषि संबंधित सेवाओं पर निर्भर है। लगभग 58.4% कार्यशील जनसंख्या कृषि में रोजगार करती है, जिनमें 31.7% कृषक और अन्य कृषि मजदूर शामिल हैं। इसके अलावा, कृषि से संबंधित पशुपालन व्यवसाय भी डेरी, चमड़ा और खाद्य उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। और कृषि यंत्रों का निर्माण, उर्वरकों का उत्पादन भी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करते हैं।
3.उद्योगों के विकास में कृषि का महत्व: उद्योगों के विकास के संदर्भ में, कृषि का महत्व बहुत अधिक है। भारत में महत्वपूर्ण उद्योगों को जैसे कि सूती वस्त्र, जूट, चीनी, और वनस्पति उद्योग कृषि से ही राजस्व प्राप्त होता है। इसके बिना, ये उद्योग अपनी आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति करने में असमर्थ होंगे। इसके अलावा, बहुत से छोटे उद्योग भी अपने कच्चे माल की प्राप्ति के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं, जैसे कि धान की गोंथण, तेल की प्रक्रिया, और अन्य उद्योग। इसलिए, कृषि भारत के औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4.खाद्य सामग्री और चारा की आपूर्ति: खाद्यान्न और चारे की पूर्ति के संदर्भ में, कृषि अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारत में खाद्य सामग्री का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि से ही प्राप्त होता है। अगर भीषण खाद्य सामग्री की आवश्यकता होती है, तो कुछ खाद्यान्न अन्य देशों से आयात किया जा सकता है, लेकिन यह आवश्यकता अत्यंत कम होती है। साथ ही, देश में लगभग 42 करोड़ पशुओं को चारा भी कृषि से ही प्राप्त होता है।
5.परिवहन व्यवसायों का योगदान: देश में कृषि उत्पादन के भौगोलिक अंतरों के कारण, रेलवे, मोटर परिवहन, और अन्य परिवहन साधनों का कृषि पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। गाँव से शहर और बाजारों तक कृषिजन्य पदार्थों को पहुँचाने के लिए परिवहन का महत्वपूर्ण योगदान होता है, और इससे भी कृषि से संबंधित आय बढ़ती है।
6.अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कृषि का योगदान: भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी अपनी विशेष पहचान रखता है। विदेशी व्यापार की दृष्टि से भी कृषि का स्थान महत्वपूर्ण
है। देश के समस्त निर्यात में कृषि पदार्थों एवं कृषि से सम्बन्धित पदार्थों का योगदान लगभग
15% है। भारत से जो वस्तुएँ विदेशों को निर्यात की जाती हैं उनमें चाय, कॉफी, चावल, तेल, निष्कर्षण, काजू, गरम मसाले, कपास तथा जूट आदि प्रमुख हैं। इन कुछ वर्षों में, भारतीय कृषि उत्पादों की मूल्य और मात्रा में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की वृद्धि देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
7.सर्वाधिक भूमि उपयोग: देश के भौगोलिक क्षेत्र का सबसे बड़ा हिस्सा कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में, देश में उपलब्ध 32.87 करोड़ हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल में से लगभग 14.27 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है, जो कुल भूमि क्षेत्रफल का लगभग 43.2 प्रतिशत है। इस तरह, देश में भूमि क्षेत्रफल का सबसे बड़ा हिस्सा खेती के काम में लगता है। यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में कुल भूमि के 52% हिस्से को कृषि के लिए उपयुक्त माना जाता है।
8.राजस्व में कृषि का योगदान: सरकारी आय और व्यय पर्याप्त सीमा तक कृषि व्यवसाय पर आश्रित है। केंद्र सरकार को निर्यात कर, चाय, तंबाकू, और अन्य उत्पादों का उत्पादन कर, तथा राज्य सरकारों को वस्त्र-विपणन, सिंचाई, कृषि संपत्ति कर, और अन्य क्षेत्रों से अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। इसी तरह, सरकार अपनी आय के महत्वपूर्ण हिस्से को कृषि संबंधित योजनाओं के विकास पर खर्च करती है। इसके अलावा, कृषि उत्पादों के निर्यात से सरकार को राजस्व की अतिरिक्त प्राप्ति भी हर वर्ष होती है।
9.पूँजी निर्माण में सहायक: कृषि उत्पादन की वृद्धि के माध्यम से, कृषि पर आश्रित व्यक्तियाँ अपने उपभोग स्तर को कम किए बिना, बचत किए बिना पूंजी निर्माण में सहायता प्रदान करती हैं, जो देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास की सबसे महत्वपूर्ण आधार है।
10.विस्तृत बाजार की सम्भावना: पिछले चार दशकों में, कृषि उत्पादन के वृद्धि के साथ-साथ कृषि उपजों के बाजार का विस्तार हुआ है, और साथ ही कृषि व्यवसाय से संबंधित रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवाइयाँ, कृषि यंत्र, सिंचाई के साधनों की मांग में वृद्धि हुई है। कृषि जीवन-यापन के साधन नहीं रहकर व्यवसाय का एक आवश्यक घटक होने के कारण, विपणन कुशलता में भी वृद्धि हुई है।
11.सामाजिक और राजनीतिक महत्व: भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आश्रित है, और इसके कारण कृषि का सामाजिक और राजनीतिक महत्व अधिक होता है। यह महत्व भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। कृषि की 'व्यवसायिक स्थिरता' सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करती है।
ऊपर के तथ्य से स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय जीवन और अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान महत्वपूर्ण है। वास्तव में, कृषि ही भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है।
@abcd 1 days ago
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