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भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व

Shilu Sinha
Shilu Sinha  @shilusinha
Created At - 2023-09-19
Last Updated - 2024-08-28

Table of Contents

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्व
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित तत्व दृष्टिगत हैं:
    • 1.राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत:
    • 2.कृषि में रोजगार:
    • 3.उद्योगों के विकास में कृषि का महत्व:
    • 4.खाद्य सामग्री और चारा की आपूर्ति:
    • 5.परिवहन व्यवसायों का योगदान:
    • 6.अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कृषि का योगदान:
    • 7.सर्वाधिक भूमि उपयोग:
    • 8.राजस्व में कृषि का योगदान:
    • 9.पूँजी निर्माण में सहायक:
    • 10.विस्तृत बाजार की सम्भावना:
    • 11.सामाजिक और राजनीतिक महत्व:
  • निष्कर्ष:

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्व

प्राचीन काल से ही कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा रहा है। प्रमुख व्यवसाय होने के कारण, देश की 67% जनसंख्या सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन का आयोजन कृषि और कृषि संबंधित सेवाओं पर आधारित करती है। देश के उद्योगों और व्यापार, जैसे कि सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, चाय उद्योग, और वनस्पति उद्योग, कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं। वर्तमान में, राष्ट्रीय आय के 26% का योगदान कृषि सेक्टर से होता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी कृषि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इतना ही नहीं, राजनीतिक स्थिरता भी कृषि पर ही निर्भर करता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित तत्व दृष्टिगत हैं:

1.राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत:

कृषि क्षेत्र राष्ट्रीय आय का महत्वपूर्ण स्रोत है।

I. वर्तमान योगदान: कृषि का योगदान राष्ट्रीय आय में लगभग 26% है, जो किसी भी अन्य क्षेत्र से अधिक है। भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का यह योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करता है और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

II. इतिहास: पहले विश्व युद्ध के समय, राष्ट्रीय आय का लगभग तीन-तिहाई हिस्सा कृषि से आता था, क्योंकि उस समय उद्योगिक विकास नहीं था। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने नियोजित विकास और औद्योगिकीकरण के माध्यम से कृषि क्षेत्र के योगदान में कमी देखी, लेकिन राष्ट्रीय आय में कृषि का महत्व अब भी अधिक है।

2.कृषि में रोजगार:

भारत में जनसंख्या की तेजी से वृद्धि होने के कारण कृषि से जुड़े लोगों की संख्या भी बढ़ी है।

I. जनसंख्या: 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कृषि और कृषि संबंधित सेवाओं पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र में रोजगार की संभावना अधिक होती है, क्योंकि इसमें विभिन्न स्तरों पर काम करने के अवसर उपलब्ध होते हैं।

II. कार्यशील जनसंख्या: 58.4% कार्यशील जनसंख्या कृषि में कार्यरत है, जिसमें 31.7% कृषक और अन्य कृषि मजदूर शामिल हैं। इसके अलावा, कृषि से संबंधित पशुपालन, डेरी, चमड़ा और खाद्य उद्योगों में भी रोजगार उत्पन्न होते हैं। यह न केवल ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन स्तर में सुधार भी करता है।

3.उद्योगों के विकास में कृषि का महत्व:

कृषि भारतीय उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति करती है।

I. महत्वपूर्ण उद्योग: सूती वस्त्र, जूट, चीनी, और वनस्पति उद्योग कृषि पर निर्भर हैं। कृषि से प्राप्त कच्चे माल के बिना, ये उद्योग अपनी आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति करने में असमर्थ होंगे।

II. छोटे उद्योग: धान की गोंथण, तेल की प्रक्रिया, और अन्य छोटे उद्योग भी कृषि पर निर्भर हैं। इन उद्योगों का विकास कृषि उत्पादन की वृद्धि पर निर्भर करता है। इस प्रकार, कृषि भारत के औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

4.खाद्य सामग्री और चारा की आपूर्ति:

भारत में खाद्य सामग्री का एक बड़ा हिस्सा कृषि से आता है।

I. खाद्यान्न: अधिकांश खाद्यान्न कृषि से प्राप्त होते हैं, और आपातकालीन स्थितियों में थोड़ी मात्रा में आयात किया जाता है। कृषि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

II. चारा: देश में लगभग 42 करोड़ पशुओं को चारा भी कृषि से ही प्राप्त होता है। पशुपालन उद्योग कृषि पर निर्भर है, क्योंकि पशुओं के लिए चारा कृषि से ही प्राप्त होता है।

5.परिवहन व्यवसायों का योगदान:

कृषि उत्पादन के भौगोलिक अंतरों के कारण परिवहन व्यवसाय महत्वपूर्ण होता है।

I. परिवहन: रेलवे, मोटर परिवहन, और अन्य साधनों के माध्यम से कृषि पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाना आवश्यक है। गाँव से शहर और बाजारों तक कृषिजन्य पदार्थों को पहुँचाने के लिए परिवहन का महत्वपूर्ण योगदान होता है, और इससे भी कृषि से संबंधित आय बढ़ती है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

6.अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कृषि का योगदान:

भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार कृषि पर भी निर्भर करता है।

I. निर्यात: देश के समस्त निर्यात में कृषि पदार्थों एवं कृषि से सम्बन्धित पदार्थों का योगदान लगभग 15% है। भारतीय कृषि उत्पादों की उच्च गुणवत्ता और विविधता के कारण इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उच्च मांग है।

II. प्रमुख निर्यात: चाय, कॉफी, चावल, तेल, निष्कर्षण, काजू, गरम मसाले, कपास तथा जूट आदि प्रमुख हैं। इन कुछ वर्षों में, भारतीय कृषि उत्पादों की मूल्य और मात्रा में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की वृद्धि देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

7.सर्वाधिक भूमि उपयोग:

भारत का सबसे बड़ा भू-भाग कृषि के लिए उपयोग होता है।

I. खेती का क्षेत्रफल: 32.87 करोड़ हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में से लगभग 14.27 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है, जो कुल भूमि क्षेत्रफल का लगभग 43.2% है। इस तरह, देश में भूमि क्षेत्रफल का सबसे बड़ा हिस्सा खेती के काम में लगता है। यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में कुल भूमि के 52% हिस्से को कृषि के लिए उपयुक्त माना जाता है।

8.राजस्व में कृषि का योगदान:

सरकारी आय और व्यय पर्याप्त सीमा तक कृषि व्यवसाय पर निर्भर है।

I. कर: केंद्र और राज्य सरकारें कृषि संबंधित कर और शुल्कों से आय प्राप्त करती हैं। यह राजस्व सरकार को विभिन्न विकास योजनाओं और नीतियों को लागू करने में मदद करता है।

II. आय और व्यय: सरकार अपनी आय का महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि योजनाओं के विकास पर खर्च करती है। इसके अलावा, कृषि उत्पादों के निर्यात से सरकार को राजस्व की अतिरिक्त प्राप्ति भी हर वर्ष होती है। यह सरकार के लिए स्थायी आय का स्रोत बनता है।

9.पूँजी निर्माण में सहायक:

कृषि उत्पादन की वृद्धि के माध्यम से पूंजी निर्माण में सहायता मिलती है।

I. बचत: कृषि पर निर्भर व्यक्ति अपनी उपभोग की आदतों में परिवर्तन करके बचत करते हैं, जिससे पूंजी निर्माण होता है। यह बचत पूंजी निर्माण में सहायक होती है और देश के आर्थिक विकास में योगदान करती है। कृषि में पूंजी निर्माण से अन्य क्षेत्रों में भी निवेश की संभावना बढ़ती है।

10.विस्तृत बाजार की सम्भावना:

कृषि उत्पादन के वृद्धि के साथ-साथ कृषि उपजों के बाजार का विस्तार हुआ है।

I. उर्वरक और कीटनाशक: कृषि उत्पादन के लिए आवश्यक उर्वरक और कीटनाशकों की मांग भी बढ़ी है। कृषि जीवन-यापन के साधन नहीं रहकर व्यवसाय का एक आवश्यक घटक बन गया है।

II. विपणन: कृषि जीवन-यापन का साधन नहीं रहकर व्यवसाय का एक आवश्यक घटक बन गया है। कृषि उत्पादों की विपणन कुशलता में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त होता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित होते हैं।

11.सामाजिक और राजनीतिक महत्व:

कृषि का सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी अधिक है।

I. जनसंख्या: जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता का सीधा प्रभाव सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता पर पड़ता है।

II. स्थिरता: कृषि की 'व्यवसायिक स्थिरता' सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है। कृषि में सुधार और विकास से समाज में स्थिरता बनी रहती है और राजनीतिक स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है। कृषि क्षेत्र में सुधार और विकास से समाज में स्थिरता बनी रहती है और राजनीतिक स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष:

इन सभी तथ्यों से स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृषि न केवल रोजगार और खाद्यान्न का स्रोत है, बल्कि उद्योगों, व्यापार, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि ही भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है और इसके विकास के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। कृषि क्षेत्र की प्रगति के बिना भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति संभव नहीं है।

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