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भारत में अपराध के प्रमुख कारण और उनका विश्लेषण

Shilu Sinha
Shilu Sinha  @shilusinha
Created At - 2024-07-19
Last Updated - 2025-03-04

Table of Contents

  • Q. भारत में अपराध के सामाजिक-आर्थिक कारणों का वर्णन करें।
  • Or, भारतीय समाज में अपराधों के प्रमुख कारणों या कारकों की विवेचना करें।
  • भारतीय समाज में अपराध के कारण
  • (i) व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक कारक (Individual and Psychological Factors)
    • 1. आयु (Age):
    • 2. लिंग (Sex):
    • 3. उद्वेगात्मक संघर्ष (Emotional Conflicts):
    • 4. मद्यपान (Alcoholism):
    • 5. अपस्मार (Epilepsy):
  • (ii) आर्थिक कारक (Economic Factors)
    • 1. उद्योगीकरण (Industrialization):
    • 2. कृषि की स्थिति (Condition of Agriculture):
    • 3. व्यापार चक्र (Business Cycle):
    • 4. निर्धनता और बेरोजगारी (Poverty and Unemployment):
  • (iii) पारिवारिक और सांस्कृतिक कारक (Family and Cultural Factors)
    • 1. टूटे हुए परिवार (Broken Homes):
    • 2. वैवाहिक स्थिति (Marital Status):
    • 3. धर्म (Religion):
    • 4. चलचित्र (Movies):
  • (iv) सामाजिक कारक (Social Factors)
    • 1. सामाजिक समस्याएँ (Social Problems):
    • 2. घनी वस्तियाँ (Slums):
    • 3. सामाजिक विघटन (Social Disorganization):
    • 4. शैक्षिक स्थिति (Educational Status):
  • (v) विविध कारक (Miscellaneous Factors)
    • 1. समाचार पत्र (Newspapers):
    • 2. राजनीतिक भ्रष्टाचार (Political Corruption):
    • 3. चरित्र का पतन (Crisis of Character):
    • 4. दण्ड-व्यवस्था (Penal System):

Q. भारत में अपराध के सामाजिक-आर्थिक कारणों का वर्णन करें।

Or, भारतीय समाज में अपराधों के प्रमुख कारणों या कारकों की विवेचना करें।

भारत में अपराध एक गंभीर समस्या है जो समाज के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। 1960 में, फोड फाउंडेशन के सलाहकार प्रोफेसर क्लीनडे ने भविष्यवाणी की थी कि भारत में नगरीकरण और उद्योगीकरण के कारण अपराध की संख्या में वृद्धि हो सकती है। उनका अनुमान सही साबित हुआ।

इलिएट और मैरिल का कहना है कि अपराध का विश्लेषण करने के लिए केवल एक ही कारण को देखना सही नहीं है। हमें विभिन्न कारकों को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि अपराध व्यक्ति के व्यवहार, समाज और उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं का परिणाम होता है।

भारतीय समाज में अपराध के कारण

भारतीय समाज में अपराध की वृद्धि कई कारणों से होती है। इन्हें हम अलग-अलग पहलुओं में समझ सकते हैं:

(i) व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक कारक (Individual and Psychological Factors)

1. आयु (Age):

अपराध की प्रवृत्ति उम्र के साथ बदलती है। छोटे बच्चों में अपराध बहुत कम होते हैं क्योंकि वे अपनी भावनाओं को पूरी तरह समझ नहीं पाते और उनके पास जिम्मेदारियों की कमी होती है। किशोरावस्था में, शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जिससे अपराध की संभावना बढ़ जाती है। युवाओं में, जीवन की जटिलताएं और सामाजिक दबाव अपराध की ओर प्रवृत्त कर सकते हैं। वृद्धावस्था में, शारीरिक और मानसिक क्षति के कारण अपराध की प्रवृत्ति कम हो जाती है।

2. लिंग (Sex):

पुरुषों में अपराध की संभावना अधिक होती है, क्योंकि पुरुषों को समाज में अधिक स्वतंत्रता मिलती है और वे अपने इच्छाओं को पूरा करने के लिए अधिक प्रवृत्त होते हैं। इसके अलावा, पुरुषों की शारीरिक और मानसिक रचना भी अपराध की प्रवृत्ति को प्रभावित करती है। महिलाओं को समाज में कम स्वतंत्रता और अधिक सुरक्षा मिलती है, जिससे वे अपराध की ओर कम प्रवृत्त होती हैं।

3. उद्वेगात्मक संघर्ष (Emotional Conflicts):

जब व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक संघर्षों का सामना करता है, तो उसे अपराध का सहारा मिल सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को प्रेम में निराशा होती है, तो वह नफरत और क्रोध से प्रभावित होकर हिंसा कर सकता है। इन भावनात्मक संघर्षों का समाधान न मिलने पर अपराध करने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।

4. मद्यपान (Alcoholism):

शराब पीने से व्यक्ति की सोच और समझ पर असर पड़ता है। मद्यपान से व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण क्षमता कम हो जाती है और वह सही और गलत का अंतर भूल सकता है। शराब के प्रभाव में आकर व्यक्ति अपनी भावनाओं को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता और अपराध करने की संभावना बढ़ जाती है।

5. अपस्मार (Epilepsy):

अपस्मार एक मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को अपराध करने की प्रवृत्ति हो सकती है, भले ही उसके पास सभी सुविधाएं हों। अपस्मार के दौरे के बाद, व्यक्ति को अपराध करने की सन्तोषजनक भावना प्राप्त होती है, जिससे वह बार-बार अपराध की ओर बढ़ सकता है।

इन कारकों की वजह से अपराध की प्रवृत्ति और उसकी प्रकृति में बदलाव आता है, और इन्हें समझकर समाज में अपराध की रोकथाम के उपाय किए जा सकते हैं।

(ii) आर्थिक कारक (Economic Factors)

1. उद्योगीकरण (Industrialization):

जब उद्योगीकरण बढ़ता है, तो पारिवारिक और सामाजिक नियंत्रण कम हो जाता है, जिससे अपराधों में वृद्धि होती है। उद्योगीकरण के कारण बहुत से लोग अपने गाँवों को छोड़कर शहरों में आ जाते हैं और वहां पर गंदे और घनी बस्तियों में रहने लगते हैं। इन बस्तियों में स्नेह और सामाजिक समर्थन की कमी होती है और कार्य की अधिकता के कारण व्यक्ति अपराध की ओर प्रवृत्त हो सकता है।

2. कृषि की स्थिति (Condition of Agriculture):

डॉ. हैकरवाल ने बताया कि कृषि और अपराध के बीच गहरा संबंध है। जब फसलें अच्छी होती हैं, तो रोजगार की स्थिति भी अच्छी रहती है और आर्थिक स्थिति स्थिर रहती है, जिससे अपराध की संभावना कम हो जाती है। लेकिन जब फसलें खराब होती हैं, तो बेरोजगारी और आर्थिक समस्याएं बढ़ जाती हैं, जिससे लोग अपराध की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

3. व्यापार चक्र (Business Cycle):

व्यापार में उतार-चढ़ाव की स्थिति, जैसे आर्थिक संकट, अपराध की दर को प्रभावित कर सकती है। जब आर्थिक स्थिति खराब होती है, तो घातक अपराध जैसे चोरी और डकैती बढ़ सकते हैं। इसके विपरीत, जब आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, तो अपराध की दर घट जाती है।

4. निर्धनता और बेरोजगारी (Poverty and Unemployment):

भारत में निर्धनता और बेरोजगारी अपराध को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैं। निर्धनता के कारण व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह निराशावादी हो जाता है। बेरोजगारी के कारण व्यक्ति को उचित जीवन यापन के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे वह अपराध करने के लिए मजबूर हो सकता है।

इन आर्थिक कारणों को समझकर और उनके समाधान के उपाय करके, अपराध की दर को कम किया जा सकता है।

(iii) पारिवारिक और सांस्कृतिक कारक (Family and Cultural Factors)

1. टूटे हुए परिवार (Broken Homes):

टूटे हुए परिवार अपराधी व्यवहार को बढ़ावा देते हैं। ये परिवार वे होते हैं जहाँ:

l. परिवार के सदस्य शराबी या अपराधी होते हैं।
ll. माता-पिता की मृत्यु या तलाक के कारण परिवार में माता या पिता का अभाव होता है।
lll. माता-पिता अपने बच्चों पर सही नियंत्रण नहीं रख पाते।
lV. परिवार में आपसी झगड़े, द्वेष या पक्षपात होता है।
V. माता-पिता की नौकरी या अन्य कारणों से परिवार के सदस्यों के बीच निराशा और सन्देह रहता है।

2. वैवाहिक स्थिति (Marital Status):

अपराधी व्यवहार का एक बड़ा कारण व्यक्ति की वैवाहिक स्थिति है। अनुसंधानों से पता चलता है कि विवाहित लोग अपराध कम करते हैं। परंतु, यदि किसी व्यक्ति का विवाह विच्छेद हो जाता है या पति-पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो वे अपराध की ओर बढ़ सकते हैं। अविवाहित और तलाकशुदा लोग भी अपराध में अधिक शामिल हो सकते हैं।

3. धर्म (Religion):

धर्म खुद अपराध की शिक्षा नहीं देता, लेकिन जब धार्मिक रूढ़िवादिता बढ़ जाती है, तो यह अपराधी व्यवहार को बढ़ावा दे सकता है। धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता अपराधों को प्रोत्साहित कर सकती है।

4. चलचित्र (Movies):

चलचित्र समाज की संस्कृति का हिस्सा होते हुए भी अपराध बढ़ाने में योगदान देते हैं। फिल्मों में रोमांस, आधुनिकता और अपराध के नए तरीके दिखाए जाते हैं, जो समाज में अपराध और अनैतिकता को बढ़ावा देते हैं। फिल्मों की इन छवियों से तस्करी, मूर्तियों की चोरी और वर्ग-संघर्ष जैसे अपराधों को प्रोत्साहन मिलता है।

(iv) सामाजिक कारक (Social Factors)

1. सामाजिक समस्याएँ (Social Problems):

सामाजिक समस्याएँ अपराध का एक बड़ा कारण बनती हैं। जैसे:

l. विधवा विवाह पर रोक से यौन अपराध बढ़ते हैं।
ll. दहेज प्रथा और बेमेल विवाह के कारण कई स्त्रियाँ आत्महत्या कर लेती हैं।
lll. जाति प्रथा के कारण सवर्ण और निम्न जातियों के बीच संघर्ष बढ़ता है।
lV. सामाजिक कुरीतियों के कारण बच्चों को बलि देने और लड़कियों को देवदासी बनाने जैसे अपराध बढ़ते हैं।

2. घनी वस्तियाँ (Slums):

बड़े शहरों की घनी बस्तियाँ सामाजिक ढांचे को दूषित कर देती हैं। यहाँ अपराध का वातावरण बनता है और लोग अपराधी व्यवहार सीखते हैं, जिससे अपराधों की संख्या बढ़ती है।

3. सामाजिक विघटन (Social Disorganization):

जब समाज में सामाजिक मूल्य कमजोर होते हैं, और संस्थाओं की शक्ति कम हो जाती है, तो अपराध बढ़ सकते हैं। समाज में विश्वास की कमी और समस्याओं को भिन्न दृष्टिकोण से देखने की प्रवृत्ति अपराध को बढ़ावा देती है।

4. शैक्षिक स्थिति (Educational Status):

अशिक्षा भी अपराध को बढ़ावा देती है। शिक्षा की कमी से लोग समाजीकरण की प्रक्रिया को ठीक से नहीं समझ पाते और अपने आप को सन्तुलित नहीं रख पाते, जिससे वे अपराध की ओर बढ़ सकते हैं।

(v) विविध कारक (Miscellaneous Factors)

1. समाचार पत्र (Newspapers):

समाचार पत्र भी अपराध को बढ़ावा दे सकते हैं। वे अपराधियों के कार्यों को रोचक तरीके से पेश करके उन्हें अपराध करने की प्रेरणा दे सकते हैं। साथ ही, नए अपराधों की जानकारी और सरकारी प्रयासों की जानकारी से अपराधियों को सजग कर सकते हैं।

2. राजनीतिक भ्रष्टाचार (Political Corruption):

राजनीतिक भ्रष्टाचार संपत्ति और व्यक्ति दोनों के खिलाफ अपराध का कारण बनता है। जब सत्ताधारी लोग अपनी जिम्मेदारियों से भटक जाते हैं और व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करते हैं, तो यह सामान्य लोगों को भी अपराध की ओर धकेलता है और अपराधियों को बचने के रास्ते मिलते हैं।

3. चरित्र का पतन (Crisis of Character):

चरित्र का पतन अपराध का एक बड़ा कारण है। जब लोग अपने कर्तव्यों को भूलकर केवल अधिकारों की मांग करते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों पर डाल देते हैं, तो अपराध बढ़ सकते हैं।

4. दण्ड-व्यवस्था (Penal System):

दण्ड-व्यवस्था भी अपराध को प्रभावित करती है। अगर अभियुक्त को सही तरीके से नहीं सजा मिलती या न्यायालय में उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, तो यह उसे और अधिक अपराधी बना सकता है। जेल में अपराधियों का साथ में रहना भी उन्हें अधिक खतरनाक अपराधी बना सकता है।

इन कारणों को समझकर और सुधार करके, हम भारतीय समाज में अपराध की दर को कम कर सकते हैं।

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