Or, मनोवृति माप
मनोवृत्ति (Attitude) को समाज का केन्द्र बिन्दु माना जाता है, क्योंकि यह किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार के प्रति हमारे सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं और विचारों को दर्शाती है। मनोवृत्ति व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण को व्यक्त करती है और यह लगातार समाज के अन्य व्यक्तियों, विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों से प्रभावित होती रहती है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि समाज और संस्कृति के तत्व व्यक्ति की मनोवृत्ति का निर्माण करते हैं।
मनोवृत्ति के सम्बन्ध में थर्स्टन का विचार है कि, "मनोवृत्ति किसी एक मनोवैज्ञानिक विषय के प्रति सम्बन्धित धनात्मक अथवा नकारात्मक भाव की मात्रा व्यक्त करती है।" थर्स्टन की इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि मनोवृत्ति की एक मात्रा होती है, जिसे मापा जा सकता है। समाज में लोग अक्सर किसी व्यक्ति की मनोवृत्ति की मात्रा जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
पहले लोगों का यह विचार था कि मनोवृत्ति को जानना कठिन कार्य है, क्योंकि इसे मापा नहीं जा सकता। लेकिन बाद में मनोवृत्ति मापन के लिए कई स्केल विकसित किए गए, जिनसे व्यक्ति की मनोवृत्ति का मापन किया जा सकता है और किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति उसकी मनोवृत्ति की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। मनोवृत्ति मापन के लिए प्रमुख स्केलों में से एक है - थर्स्टन स्केल।
सन् 1929 में थर्स्टन और चेव ने एक मनोवृत्ति मापने का पैमाना (थर्स्टन स्केल) विकसित किया। इस स्केल का उपयोग युद्ध, संतान निरोध, मृत्युदंड आदि से सम्बन्धित जनता की मनोवृत्ति जानने के लिए किया गया। थर्स्टन की यह विधि बहुत लोकप्रिय साबित हुई और आज भी इसे मनोवृत्ति मापन के क्षेत्र में सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
थर्स्टन पैमाना एक सुसंगठित और विधिपूर्वक निर्मित स्केल होता है जो मनोवृत्ति के मापन के लिए गहराई से विश्लेषण करता है। इसका निर्माण निम्नलिखित प्रमुख चरणों में किया जाता है:
सबसे पहले उस मनोवृत्ति से संबंधित सैकड़ों कथनों का चयन किया जाता है, जिसका मापन करना है। इन कथनों में पूर्ण स्वीकृति से अस्वीकृति तक होती है और यह कथन स्पष्ट और समस्या से संबंधित होते हैं।
कथनों का चयन कर लेने के बाद इन्हें निर्णायकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। ये निर्णायक पचास से तीन सौ की संख्या तक होते हैं। ये निर्णायक उन कथनों को ग्यारह समूहों में बाँट देते हैं। पहले समूह में ऐसे कथनों को रखा जाता है जो निर्णायकों द्वारा पूर्ण स्वीकृति दी जाती है। दूसरे समूह में उससे कम स्वीकृति वाले कथन होते हैं। इसी प्रकार, अन्तिम श्रेणी में उन कथनों को शामिल किया जाता है, जिन्हें निर्णायक पूर्णतः अस्वीकृत समझते हैं। बीच में जो कथन होते हैं, उनमें निर्णायक ऐसे कथन रखते हैं जो न तो सहमत हैं और न असहमत।
निर्णायकों द्वारा श्रेणीबद्ध कर लेने के बाद उनके आधार पर मध्यांक की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जाती है। वैसे कथनों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है, जो समस्या से संबंधित नहीं होते हैं।
सबसे अन्त में वे प्रस्तावनाएँ शामिल की जाती हैं, जो सबसे अधिक अनुकूल और सबसे अधिक प्रतिकूल होती हैं।
I. इसमें निर्णायकों का सहयोग लिया जाता है।
II. इससे प्राप्त आँकड़े गणितीय होते हैं, जिससे मतों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
III. यह विधि मनोवृत्ति मापन के क्षेत्र में एक मानक स्थापित करती है।
थर्स्टन पैमाना व्यक्ति की मनोवृत्ति को मापने में सटीकता प्रदान करता है। यह स्केल विभिन्न बिंदुओं पर आधारित होता है, जिससे मनोवृत्ति के विभिन्न पहलुओं को समझा जा सकता है।
यह पैमाना मनोवैज्ञानिक अनुसंधान और अध्ययन के लिए उपयोगी होता है। शोधकर्ता इसे विभिन्न मुद्दों पर लोगों की राय और मानसिक धारणाओं को जानने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
थर्स्टन स्केल का उपयोग सामाजिक सर्वेक्षणों में भी किया जाता है, जहाँ यह विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जनसामान्य की राय को समझने में सहायक होता है।
नीति निर्माताओं और समाजशास्त्रियों के लिए यह स्केल महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उन्हें विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जनता की मनोवृत्ति की जानकारी प्रदान करता है, जिससे वे प्रभावी नीतियों का निर्माण कर सकते हैं।
यह स्केल शैक्षिक अनुसंधान में भी सहायक होता है, जहाँ यह विद्यार्थियों और शिक्षकों की मनोवृत्ति को समझने में मदद करता है।
1. यह स्केल बहुत जटिल विधि द्वारा निर्मित किया जाता है, जिसमें अध्ययनकर्ता को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है। इसमें समय भी अधिक लगता है और खर्च भी अधिक होता है।
2. थर्स्टन स्केल के माध्यम से व्यक्ति की मनोवृत्ति को विभिन्न कथनों के उत्तरों के माध्यांक से मापा जाता है, जिससे कि विभिन्न कथनों के उत्तर देने पर भी कई बार दो व्यक्तियों का कुल गुणांक एक समान हो जाता है। इस प्रकार, मनोवृत्ति में अन्तर होते हुए भी दो व्यक्ति एक समान लगते हैं।
3. कथनों का मूल्य निर्धारित करने में निर्णायकों की पृष्ठभूमि का प्रभाव पड़ता है, जिससे स्केल दोषपूर्ण हो सकता है।
4. यह विधि इच्छित मनोवृत्ति पर प्रकाश नहीं डालती है, जिससे इसकी विश्वसनीयता में कमी रह जाती है।
थर्स्टन पैमाना एक प्रभावशाली और उपयोगी उपकरण है जो मनोवृत्ति के मापन में मदद करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति की मानसिक स्थितियों और राय को सटीकता से समझा जा सकता है, जो कि विभिन्न अनुसंधान, सामाजिक सर्वेक्षण, और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होता है। हालांकि इसमें कुछ सीमाएँ और आलोचनाएँ हैं, फिर भी इसकी उपयोगिता और प्रभावशीलता इसे मनोविज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाती है।