अनुसूची क्या है? विशेषताएँ और लाभ का विश्लेषण

Shilu Sinha
Created At - 2024-07-29
Last Updated - 2025-03-04

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अनुसूची की विशेषताएँ और लाभ

अनुसूची मनोवैज्ञानिक और सामाजिक अनुसंधानों में अत्यधिक महत्वपूर्ण और प्रचलित उपकरण है। अनुसंधानकर्ताओं ने इस विधि के माध्यम से अनेकों अनुसंधान किए हैं। यह एक उन्नत विधि है जो अनुसंधानकर्ता को प्रश्नों की एक सूची के आधार पर प्रयोज्य से पूर्वनिर्धारित संपर्क स्थापित करके उत्तर प्राप्त करने में मदद करती है। अनुसूची और प्रश्नावली में मुख्य अंतर यह है कि अनुसूची में प्रश्नकर्त्ता सूचनादाता से आमने-सामने की स्थिति में सूचनाएँ प्राप्त करता है, जबकि प्रश्नावली में परोक्ष रूप से सूचनाएँ एकत्र की जाती हैं।

गुर्डे और हाट (Goode and Hatt):

गुर्डे और हाट ने अनुसूची की परिभाषा देते हुए कहा है, "अनुसूची प्रायः प्रश्नों के एक समूह के लिए प्रयुक्त होती है, जो साक्षात्कारकर्ता द्वारा दूसरे व्यक्तियों के आमने-सामने की स्थिति में पूछी और भरी जाती है।" इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि अनुसूची एक ऐसा उपकरण है जिसमें अनुसंधानकर्ता सीधे उत्तरदाताओं से संपर्क करके प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करता है और उन्हें नोट करता है।

बोगार्डस (Bogardus):

बोगार्डस ने अनुसूची के बारे में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा है, "अनुसूची संक्षिप्त प्रश्नों की ऐसी रचना है, जिसमें सामान्यतया अध्ययनकर्ता स्वयं रखता है और अपनी जाँच आगे बढ़ाने के साथ-साथ भरता है।" इस परिभाषा के अनुसार, अनुसूची एक व्यवस्थित तरीके से तैयार की गई प्रश्नों की सूची है जिसे अनुसंधानकर्ता स्वयं भरता है, जिससे डेटा संकलन की प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाती है।

थामस, कॉरसन मैक्कोरमिक (Thomas, Carson Maccormic):

थामस और कॉरसन मैक्कोरमिक ने अनुसूची की परिभाषा में कहा है कि, "अनुसूची प्रश्नों की सूची से अधिक कुछ नहीं है, जिसका उपकल्पनाओं की जाँच के लिए उत्तर देना अनिवार्य है।" इस परिभाषा के अनुसार, अनुसूची एक साधारण प्रश्नों की सूची है जिसका उद्देश्य अनुसंधान के लिए आवश्यक डेटा प्राप्त करना है।

करलिंगर (Kerlinger):

करलिंगर ने अनुसूची की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा है, "अनुसूची द्वारा सूचना में ऐसी तथ्यात्मक सूचनाएँ सम्मिलित रहती हैं, जिनका सम्बन्ध मतों एवं अभिवृत्तियों में रहता है तथा जिसमें व्यवहार, विचार एवं अभिवृत्तियों के कारणों का भी समावेश रहता है।" करलिंगर के अनुसार, अनुसूची एक ऐसा उपकरण है जो न केवल तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करता है, बल्कि मतों, अभिवृत्तियों और व्यवहार के कारणों का भी विश्लेषण करने में मदद करता है।

श्रीमती पी. वी. यंग (Mrs. P. V. Young):

श्रीमती पी. वी. यंग ने अनुसूची के महत्व को प्रकट करते हुए लिखा है, "अध्ययन के लिए अनुसूची एक पथ-प्रदर्शक, अध्ययन-क्षेत्र का निर्धारण करने वाला एक साधन, स्मरण-शक्ति को बनाए रखने वाला उपकरण तथा तथ्यों को लेखबद्ध करने वाली एक सरल प्रविधि है।" इस परिभाषा के अनुसार, अनुसूची अनुसंधानकर्ता के लिए एक मार्गदर्शक की तरह कार्य करती है और अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का निर्धारण करने में सहायता करती है।

अनुसूची की विशेषताएँ (Features of Schedule):

अनुसूची मनोवैज्ञानिक और सामाजिक अनुसंधानों में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसकी कई विशेषताएँ हैं, जो इसे अनुसंधान के लिए उपयोगी और प्रभावी बनाती हैं। नीचे अनुसूची की विस्तृत विशेषताएँ दी गई हैं:

1. क्रमबद्ध प्रश्नों की सूची (Ordered List of Questions):

अनुसूची में प्रश्नों की एक क्रमबद्ध सूची होती है, जो अनुसंधान के उद्देश्य और समस्या से संबंधित होती है। इस सूची में सभी प्रश्न एक व्यवस्थित क्रम में होते हैं, जिससे उत्तरदाता को स्पष्ट और सटीक उत्तर देने में मदद मिलती है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी आवश्यक विषयों को कवर किया जाए और कोई महत्वपूर्ण जानकारी छूट न जाए।

2. आमने-सामने संपर्क (Face-to-Face Interaction):

अनुसूची का एक प्रमुख लाभ यह है कि इसमें अनुसंधानकर्ता और उत्तरदाता के बीच आमने-सामने संपर्क होता है। इस व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से अनुसंधानकर्ता उत्तरदाता से सीधे सवाल पूछ सकता है और तुरंत प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकता है। यह संपर्क अनुसंधानकर्ता को उत्तरदाता के भावनात्मक और व्यवहारिक संकेतों को समझने में मदद करता है, जिससे अधिक सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है।

3. अध्ययनकर्ता द्वारा नोट किया गया उत्तर (Responses Recorded by Researcher):

अनुसूची में उत्तरदाता के उत्तर अनुसंधानकर्ता द्वारा स्वयं नोट किए जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी उत्तर सही ढंग से और पूर्ण रूप से रिकॉर्ड किए जाएं। अनुसंधानकर्ता प्रश्नों का उत्तर भरते समय किसी भी प्रकार की अस्पष्टता को दूर कर सकता है और उत्तरदाता की प्रतिक्रियाओं को सटीक रूप में दर्ज कर सकता है।

4. प्रामाणिक और विश्वसनीय सूचनाएँ (Authentic and Reliable Information):

अनुसूची के माध्यम से प्राप्त सूचनाएँ प्रामाणिक और विश्वसनीय होती हैं क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं उत्तरदाता से साक्षात्कार और अवलोकन के माध्यम से सूचनाएँ एकत्र करता है। यह विधि अनुसंधानकर्ता को उत्तरदाता की वास्तविक भावनाओं और विचारों को समझने में मदद करती है, जिससे प्राप्त जानकारी की विश्वसनीयता बढ़ती है।

5. सूचनाएँ लिखने की सुविधा (Facility of Noting the Data):

अनुसूची द्वारा संकलित सूचनाएँ अनुसंधानकर्ता के पास लिखित रूप में उपलब्ध रहती हैं। अनुसंधानकर्ता को अपनी स्मरण शक्ति और कल्पना पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। सभी आवश्यक प्रश्न पहले से ही अनुसूची में लिखे होते हैं, जिससे किसी सूचना के छूट जाने या भूल जाने की संभावना कम हो जाती है।

6. अवलोकन की सुविधा (Facility of Observation):

अनुसंधानकर्ता को प्रश्नों का उत्तर भरते समय अवलोकन की सुविधा भी मिलती है। वह उत्तरदाता के व्यवहार, भावनाओं और प्रतिक्रियाओं का अवलोकन कर सकता है, जिससे घटनाओं की वास्तविकता को समझने में मदद मिलती है। इससे अनुसंधानकर्ता की अवलोकन शक्ति में भी वृद्धि होती है।

7. अधिकतम प्रत्युत्तर (Maximum Response):

अनुसंधानकर्ता के व्यक्तिगत संपर्क और प्रेरणा के कारण अनुसूची में अधिकतम प्रत्युत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं। अनुसंधानकर्ता उत्तरदाता को सूचना देने के लिए प्रेरित करता है और उनके संकोच या हिचकिचाहट को दूर करता है। इससे अनुसंधान के लिए आवश्यक अधिकतम और सटीक जानकारी प्राप्त होती है।

8. स्पष्टीकरण सम्भव (Clarification Possible):

अनुसंधानकर्ता के प्रत्यक्ष संपर्क के कारण अनुसूची में प्रश्नों की अस्पष्टता या कठिनाई को दूर करना संभव होता है। अनुसंधानकर्ता प्रश्नों की भाषा या अर्थ को स्पष्ट कर सकता है और उत्तरदाता की शंकाओं और जिज्ञासाओं का निवारण कर सकता है। इससे अधिकतम और सटीक सूचनाएँ प्राप्त करने में मदद मिलती है।

9. सभी वर्गों के लिए उपयोगी (Useful for All Strata):

अनुसूची का उपयोग समाज के सभी वर्गों के लिए किया जा सकता है, चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित। अनुसंधानकर्ता अपनी उपस्थिति के कारण अशिक्षित उत्तरदाताओं को भी प्रश्नों को समझाकर और उनका उत्तर दर्ज कर सकता है। इससे सभी वर्गों से प्रामाणिक और विविध सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।

10. निदर्शन सम्बन्धी दोषों का निवारण (Removal of Sampling Defects):

अनुसूची में सभी प्रकार के लोगों का अध्ययन संभव है, जिससे निदर्शन (सैंपलिंग) में समुचित प्रतिनिधित्व न होने का दोष नहीं आता। प्रश्नावली में केवल शिक्षित लोगों का चयन होता है, जिससे समग्र का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता, परंतु अनुसूची में सभी स्तर के लोगों का समावेश होता है।

11. सांख्यिकीय विश्लेषण सरल (Statistical Analysis Easier):

अनुसूची में प्रश्नों की क्रमबद्धता और तालिकाएँ होने के कारण प्राप्त सूचनाओं का सांख्यिकीय विश्लेषण सरलता से किया जा सकता है। अनुसंधानकर्ता को डेटा को व्यवस्थित और सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करने में आसानी होती है, जिससे विश्लेषण का कार्य सुगम हो जाता है।

12. मानवीय तत्व की प्रधानता (Prominence of Human Element):

अनुसूची में मानवीय तत्व प्रारंभ से अंत तक उपस्थित रहता है। अनुसंधानकर्ता और उत्तरदाता के बीच व्यक्तिगत संपर्क और बातचीत अनुसंधान को रोचक, आकर्षक और सरस बनाते हैं। यह मानवीय स्पर्श अनुसंधान प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सम्मोहक बनाता है।

13. दोषपूर्ण लिखावट से बचाव (Prevention of Faulty Handwriting):

अनुसूची में अनुसंधानकर्ता स्वयं सूचनाओं को लेखबद्ध करता है, जिससे दूसरों द्वारा लिखने पर आने वाले दोषों से बचा जा सकता है। अनुसंधानकर्ता स्वयं सभी जानकारी को सटीक रूप से दर्ज करता है, जिससे लिखित सामग्री की समझ में कोई समस्या नहीं आती।

14. प्राथमिक तथ्यों का संकलन (Collection of Primary Data):

अनुसूची द्वारा समस्या के बारे में प्राथमिक तथ्यों का संकलन संभव होता है। अनुसंधानकर्ता सीधे उत्तरदाता से ताजे और वास्तविक डेटा एकत्र करता है, जिससे अनुसंधान के निष्कर्ष अधिक सटीक और प्रामाणिक होते हैं।

15. अनावश्यक तथ्यों से छुटकारा (Elimination of Unnecessary Facts):

अनुसूची में केवल उन तथ्यों का संकलन किया जाता है जो अनुसंधान विषय से संबंधित होते हैं। अनावश्यक और अप्रासंगिक तथ्यों को छोड़ दिया जाता है, जिससे डेटा की प्रासंगिकता और सटीकता बढ़ती है।

16. साक्षात्कार एवं अवलोकन का लाभ (Benefit of Interview and Observation):

अनुसूची में साक्षात्कार और अवलोकन दोनों विधियों का प्रयोग होता है। अनुसंधानकर्ता प्रश्नों का उत्तर भरते समय उत्तरदाता के व्यवहार और प्रतिक्रियाओं का अवलोकन भी कर सकता है। इससे अनुसंधान के निष्कर्ष अधिक व्यापक और गहरे होते हैं।

अनुसूची के गुण (लाभ) (Advantages of Schedule):

अनुसूची (Schedule) सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके कई लाभ हैं, जो इसे अनुसंधानकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी बनाते हैं। नीचे अनुसूची के विस्तृत लाभ दिए गए हैं:

1. प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सूचनाएँ (Valid and Reliable Informations):

अनुसूची में स्वयं अनुसंधानकर्ता साक्षात्कार तथा अवलोकन के आधार पर वैध तथा विश्वसनीय सूचनाओं को संकलित करता है। इससे एकत्रित जानकारी की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ती है, क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं सूचनाओं की जांच और पुष्टि कर सकता है। इसके अलावा, अनुसंधानकर्ता अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग करके सूचनाओं की प्रामाणिकता को सुनिश्चित कर सकता है।

2. व्यक्तिगत सम्पर्क (Personal Contact):

अनुसूची को भरने के लिए अनुसंधानकर्ता सूचनादाता से व्यक्तिगत और आमने-सामने के सम्पर्क में आता है। इससे सूचनादाता के मन में अपनत्व की भावना पैदा हो जाती है और वह तथ्यों की सही-सही जानकारी दे देता है। अनुसंधानकर्ता सूचनादाता के मन में अध्ययन से सम्बन्धित उत्पन्न भय, सन्देह और भ्रम को भी दूर कर सकता है, जिससे अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।

3. सूचनाएं लिखने की सुविधा (Facility of Noting the Data):

अनुसूची द्वारा संकलित सूचनाएं हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध रहती हैं, अतः हमें अपनी स्मरण शक्ति एवं कल्पना पर आश्रित नहीं रहना पड़ता। क्या प्रश्न पूछने हैं, यह अनुसूची में पहले से ही लिखा होता है, अतः किसी सूचना के छूट जाने या भूल जाने की सम्भावना भी नहीं रहती। इससे अनुसंधान प्रक्रिया अधिक संगठित और सुव्यवस्थित होती है।

4. अवलोकन की सुविधा (Facility of Observation):

अनुसूची में अनुसंधानकर्ता को प्रश्नों का उत्तर भरने के साथ-साथ अवलोकन की सुविधा भी रहती है। अतः वह घटनाओं की वास्तविकता को समझ सकता है। इसमें अनुसंधानकर्ता की अवलोकन शक्ति में भी वृद्धि होती है, जिससे वह सूचनादाता के व्यवहार और भावनाओं को भी देख और समझ सकता है। यह जानकारी अनुसंधान के निष्कर्षों को अधिक सटीक बनाती है।

5. अधिकतम प्रत्युत्तर (Maximum Response):

अनुसूची में अनुसंधानकर्ता स्वयं सूचनाओं के समक्ष उपस्थित होता है, अतः वह अधिकाधिक प्रत्युत्तर प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। वह सूचनादाता को सूचना देने के लिए प्रेरित करता है, जिससे अधिक और सटीक जानकारी प्राप्त होती है। अनुसंधानकर्ता की उपस्थिति सूचनादाता को उत्तर देने के लिए प्रेरित करती है और इस प्रकार प्राप्त जानकारी की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ती है।

6. स्पष्टीकरण सम्भव (Clarification Possible):

अनुसूची में अनुसंधानकर्ता का सूचनादाता से प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है, अतः वह प्रश्नों की भाषा में आने वाली कठिनाई, अस्पष्टता, आदि को स्पष्ट कर सकता है। सूचनादाता की शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का भी निवारण कर सकता है। ऐसा करके वह अधिकतम सूचनाएं प्राप्त करने में सफल हो जाता है। यह स्पष्टता अनुसंधानकर्ता को अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है।

7. सभी वर्गों के लिए उपयोगी (Useful for all Strata):

अनुसूची का प्रयोग समाज के सभी वर्गों चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित, के लिए किया जा सकता है। अनुसंधानकर्ता अपनी उपस्थिति के कारण अशिक्षितों को भी प्रश्नों को समझाकर सूचनाएं संकलित कर सकता है। इससे अनुसंधान का क्षेत्र व्यापक होता है और समाज के सभी वर्गों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

8. निदर्शन सम्बन्धी दोषों का निवारण (Removal of Sampling Defects):

प्रश्नावली में तो अध्ययन के लिए समग्र में से केवल शिक्षित लोगों को ही चुना जाता है, अतः समग्र का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता। किन्तु अनुसूची में सभी प्रकार के लोगों का अध्ययन सम्भव है, अतः निदर्शन में समुचित प्रतिनिधित्व न होने का दोष नहीं आ पाता। इससे अनुसंधान के निष्कर्ष अधिक व्यापक और सटीक होते हैं।

9. सांख्यिकीय विश्लेषण सरल (Statistical Analysis Easier):

अनुसूची में प्रश्नों की क्रमबद्धता एवं सारणियां होने के कारण प्राप्त सूचनाओं का सांख्यिकीय विश्लेषण सरलता से किया जा सकता है। डेटा की संरचना स्पष्ट होती है और इसके विश्लेषण में आसानी होती है, जिससे अनुसंधानकर्ता निष्कर्षों को जल्दी और सटीकता से प्राप्त कर सकता है।

10. मानवीय तत्व की प्रधानता (Prominence of Human Element):

अनुसूची में मानवीय तत्व प्रारम्भ से अन्त तक उपस्थित रहता है, अतः सूचना संकलन की प्रक्रिया रोचक, आकर्षक एवं सरस हो जाती है। अध्ययनकर्ता व सूचनादाता परस्पर सम्पर्क में आते हैं और एक-दूसरे से कुछ ग्रहण करते हैं। अनुसंधान मानवीय अनुसंधान बन जाता है और सूचनादाता की भावनाओं और विचारों को भी समझने में मदद मिलती है।

11. दोषपूर्ण लिखावट से बचाव (Avoidance of Faulty Writing):

चूंकि अनुसूची में अनुसंधानकर्ता स्वयं ही सूचनाओं को लेखबद्ध करता है, अतः वह दूसरों द्वारा लिखने पर आने वाले दोषों से बच जाता है। इससे लिखित सामग्री को सरलता से समझा जा सकता है और डेटा की सटीकता बनी रहती है।

12. प्राथमिक तथ्यों का संकलन (Collection of Primary Data):

अनुसूची द्वारा समस्या के बारे में प्राथमिक तथ्यों का संकलन सम्भव है। अनुसंधानकर्ता स्वयं सूचनाओं को संकलित करता है, जिससे डेटा की सटीकता और प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है। यह प्राथमिक डेटा अनुसंधान के निष्कर्षों को मजबूत बनाता है।

13. अनावश्यक तथ्यों से छुटकारा (Elimination of Irrelevant Data):

अनुसूची में ऐसे तथ्यों का संकलन नहीं किया जाता है, जिनका अनुसंधान विषय से सम्बन्ध नहीं होता। अनुसंधानकर्ता केवल प्रासंगिक और आवश्यक जानकारी ही संकलित करता है, जिससे डेटा की गुणवत्ता और सटीकता बनी रहती है।

14. साक्षात्कार एवं अवलोकन का लाभ (Benefit of Interview and Observation):

अनुसूची में अवलोकन एवं साक्षात्कार दोनों विधियों के प्रयोग होने से इसमें दोनों विधियों के गुण पाये जाते हैं। अनुसंधानकर्ता को सूचनाएं प्राप्त करने के साथ-साथ घटनाओं का अवलोकन करने का भी मौका मिलता है, जिससे अनुसंधान की सटीकता बढ़ती है।

इस प्रकार अनुसूची अध्ययनकर्ता का मार्गदर्शन करती है व अनुसंधान के क्षेत्रों का निर्धारण करने में सहायता देती है। इसके महत्व को प्रकट करते हुए श्रीमती पी. वी. यंग ने लिखा है, "अध्ययन के लिए अनुसूची एक पथ-प्रदर्शक, अध्ययन-क्षेत्र का निर्धारण करने वाला एक साधन, स्मरण-शक्ति को बनाए रखने वाला उपकरण तथा तथ्यों को लेखबद्ध करने वाली एक सरल प्रविधि है।"

अनुसूची के दोष (सीमाएँ) (Limitations of Schedule):

अनेक गुणों के होने के बावजूद अनुसूची की निम्नांकित सीमाएं हैं:

1. सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव (Lack of Universal Questions):

अनुसूची में ऐसे सार्वभौमिक प्रश्नों का निर्माण कठिन है जिन्हें सभी उत्तरदाता समान रूप से समझें और उत्तर दें। प्रश्नों की रचना करते समय पर्याप्त सावधानी रखने के बावजूद भी ऐसे प्रश्नों का निर्माण सरल नहीं है जो सभी बौद्धिक, शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक स्तर के लोगों के लिए समान रूप से प्रयुक्त हो सकें। इससे प्राप्त जानकारी की वैधता और विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।

2. सम्पर्क की समस्या (Problem of Making Contacts):

आधुनिक जीवन इतना व्यस्त है कि सभी सूचनादाताओं से सम्पर्क कर पाना कठिन है। व्यस्तता के कारण अध्ययनकर्ता को सूचनादाता के पास सम्पर्क के लिए बार-बार जाना होता है, फिर यह भी सम्भव नहीं है कि एक ही बारी के सम्पर्क में सारी सूचनाएं संकलित कर ली जाएं। ऐसी स्थिति में सूचनाएं अपूर्ण ही रह जाती हैं, जिससे अनुसंधान की सटीकता प्रभावित होती है।

3. अधिक समय और धन की आवश्यकता (More Expensive and Time Consuming):

अनुसूची का प्रयोग करने के लिए अध्ययनकर्ता को प्रत्येक उत्तरदाता से व्यक्तिगत सम्पर्क करना पड़ता है जिसके लिए बहुत अधिक समय की आवश्यकता होती है, साथ ही कई अध्ययनकर्ताओं की भी आवश्यकता होती है जिनके प्रशिक्षण, वेतन, आदि पर बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार समय एवं धन की दृष्टि से अध्ययन की यह एक महँगी प्रणाली है। बड़े पैमाने पर अनुसंधान करने के लिए यह विधि अनुपयुक्त हो सकती है।

4. सीमित क्षेत्र में उपयोग (Limited Application):

अनुसूची की उपयोग केवल सीमित और छोटे क्षेत्र में ही हो सकता है। अधिक कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होने तथा अधिक समय और धन खर्च होने के कारण बड़े क्षेत्रों के अध्ययन के लिए अनुसूची विधि अनुपयोगी रहती है। अध्ययनकर्ता के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अनुसंधान का क्षेत्र सीमित होता है।

5. संगठनात्मक समस्याएं (Organizational Problems):

अनुसूची द्वारा अनुसन्धान का संचालन जब बड़े पैमाने पर करना हो तो कई कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है। इन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने, उनका मार्गदर्शन करने, उनके द्वारा बनी हुई अनुसूची की जांच करने, आदि के लिए एक बड़े संगठन की आवश्यकता होती है जिसका संचालन करने में अनेक प्रशासन सम्बन्धी समस्याएं आती हैं। इससे अनुसंधान की गुणवत्ता और निष्कर्षों की सटीकता प्रभावित हो सकती है।

6. अनुसंधानकर्ताओं की लापरवाही (Negligence of Investigators):

कई बार अनुसंधानकर्ता एवं परिगणक अध्ययन के प्रति लापरवाही बरतते हैं क्योंकि उनकी नियुक्ति अस्थायी तौर पर होती है। इसलिए वे अनुसन्धान कार्य में रुचि नहीं लेते और कई बार फर्जी तौर पर अनुसूचीयों की खानापूर्ति कर देते हैं। इससे अनुसंधान के परिणाम गलत हो सकते हैं और निष्कर्षों की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ सकते हैं।

7. सूचनादाताओं का पक्षपातपूर्ण व्यवहार (Biased Behavior of Respondents):

अनुसंधानकर्ता सूचना देने के लिए सूचनादाता को प्रेरित करता है, ऐसी स्थिति में कई बार सूचनादाता वहीं उत्तर देता है जो अनुसंधानकर्ता पसन्द करता है। कई बार अध्ययनकर्ता प्रश्नों के उत्तर लिखने में अपने विचारों का भी प्रभाव डालता है। अध्ययनकर्ता की भाषा तथा शैली के आधार पर ही सूचनादाता के व्यवहार में पक्षपात आने की सम्भावना रहती है। यह पक्षपात अनुसंधान के निष्कर्षों को प्रभावित कर सकता है और उन्हें अनुपयोगी बना सकता है।

8. जोखिम भरी प्रविधि (Risky Method):

कई बार अनुसूची द्वारा अध्ययन जोखिमपूर्ण होता है। अनुसंधानकर्ता का व्यवहार चाहे कितना ही विनम्र क्यों न हो, किन्तु कई बार भावात्मक तथा व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित तथ्यों के संकलन में सूचनादाता के विरोध और आक्रोश की सम्भावना रहती है। यहाँ तक कि कई बार वे मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं। यह स्थिति अनुसंधानकर्ता की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकती है और अनुसंधान प्रक्रिया को बाधित कर सकती है।

9. प्रश्नों की जटिलता (Complexity of Questions):

अनुसूची में उपयोग किए गए प्रश्न कभी-कभी जटिल होते हैं और उत्तरदाता के लिए उन्हें समझना कठिन हो सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए समस्या हो सकती है जिनका शिक्षा स्तर कम है या जो किसी विशेष भाषा में कुशल नहीं हैं। जटिल प्रश्नों के कारण उत्तरदाता सही उत्तर नहीं दे पाते, जिससे डेटा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

10. अन्य स्रोतों से सूचनाओं की पुष्टि का अभाव (Lack of Cross-Verification):

अनुसूची के माध्यम से प्राप्त सूचनाएँ अन्य स्रोतों से पुष्टि नहीं की जा सकती हैं। अनुसंधानकर्ता को केवल उत्तरदाता की सूचनाओं पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।

इन सीमाओं के बावजूद, अनुसूची एक महत्वपूर्ण अनुसंधान उपकरण है जो सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अनुसंधान में व्यापक रूप से उपयोग होता है। अनुसंधानकर्ता को इन सीमाओं को ध्यान में रखते हुए अनुसूची का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए ताकि अनुसंधान के परिणाम अधिक सटीक और विश्वसनीय हो सकें। इसके साथ ही, अनुसंधानकर्ता को अपने कौशल और अनुभव का उपयोग करते हुए अनुसूची की सीमाओं को न्यूनतम करने का प्रयास करना चाहिए।